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Chaanaky Niti
चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 60
296 : - कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है। 297 : -…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 59
291 : - अर्थ कार्य का आधार है। 291 : - arth kaary ka aadhaar hai. 292 : - धन…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 58
286 : - निर्बल राजा की आज्ञा की भी अवहेलना कदापि नहीं करनी चाहिए। 286 : - nirbal raaja kee…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 55
281 : - दण्डनीति के प्रभावी न होने से मंत्रीगण भी बेलगाम होकर अप्रभावी हो जाते है। 281 : -…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 56
276 : - कामी पुरुष कोई कार्य नहीं कर सकता। 276 : - kaamee purush koee kaary nahin kar sakata.…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 55
271 : - ईर्ष्या करने वाले दो समान व्यक्तियों में विरोध पैदा कर देना चाहिए। 272 : - चतुरंगणी सेना…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 53
261 : - बलवान से युद्ध करना हाथियों से पैदल सेना को लड़ाने के समान है। 262 : - कच्चा…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 54
266 : - दुर्बल के आश्रय से दुःख ही होता है। 267 : - अग्नि के समान तेजस्वी जानकर ही…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 52
256 : - आवाप अर्थात दूसरे राष्ट्र से संबंध नीति का परिपालन मंत्रिमंडल का कार्य है। 257 : - दुर्बल…
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चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 51
251 : - निर्बल राजा को तत्काल संधि करनी चाहिए। 252 : - पडोसी राज्यों से सन्धियां तथा पारस्परिक व्यवहार…
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