Chaanaky Nitichanakya niti
चाणक्य के अनमोल विचार || Chaanaky Ke Anamol Vichaar – Part 60

296 : - कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है। 297 : - अस्थिर मन वाले की सोच स्थिर नहीं रहती। 298 : - कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है। 299 : - कार्य-सिद्धि के लिए हस्त-कौशल का उपयोग करना चाहिए। 300 : - भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुखदायी हो जाता है।
Chanakya Quotes in Hindi